खलल न हो जाए नींद

दिन के उजाले में फुर्सत कहाँ,
रात के अंधेरे में आँखें बंद करके के ढूंढता हूँ तुम्हे,
ख्वाबों और ख्यालों में,
सपने तुम्हारे इसलिए नहीं देखता,
कहीं खलल न हो जाय नींद तुम्हारी,
इस बाबत का ख्याल रखता हूँ
रात के अंधेरे में आँखें बंद करके के ढूंढता हूँ तुम्हे,
ख्वाबों और ख्यालों में,
सपने तुम्हारे इसलिए नहीं देखता,
कहीं खलल न हो जाय नींद तुम्हारी,
इस बाबत का ख्याल रखता हूँ
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A1
Aug 30, 2025 at 19:28Abhishek
Mar 02, 2025 at 15:43